Saturday, April 5, 2014

दोस्ती हमारी …… 


लगता है थम सी गई है ज़िन्दगी हमारी,
किसी किनारे पर,
गजब हैं अफ़साने हमारे,
न जाने किसने बनाए ये खूबसूरत तराने।।

शाम थी बड़ी मस्तानी,खुदा कि दरबार लगी थी,
हवा भी सुहानी थी पर दिल था रुवांसा,
सोचा आज पूछ ही लूं अपने भगवान से,
ये दोस्ती किस बला का नाम है??

आंसमा खुला था,धरती भी सुघंदित,
खुदा का जवाब आया,

" दोस्ती हो यदि सच्चा तो वक़्त रुक जाता है,
आसमां लाख उच्चा, मगर झुक ही जाता है,
दोस्ती में दुनिया लाख बनती रुकावट,
अगर किसी एक भी दोस्ती सच्चा हो,
 तो हम भी सजदे झुक जाते।

दोस्ती वो एहसास है जो लाख मिटाये-मिटता नहीं,
दोस्ती वो हिमालय है जो कभी झुकता नहीं,
इसकी कीमत न पूछो हमसे,
इसके आगे तो खुद भी झुक जाता है.। "

हमने बोला तो ऐसी होती है ये दोस्ती,
एक प्रार्थना स्वीकार कर लो हमारी,
कभी मेरी दोस्ती कि खबर करना उसे,
और अपने इस कोमल धुन और,
मीठी-मीठी लफ्जों में,
इल्म बताना मेरी दोस्ती कि।!!।