Monday, December 24, 2012

।।बेचैन हूँ मैं।।

सुबह सुबह उठ कर दैनिक समाचार के लिया अख़बार उठाया 
हर तरफ आवाज़ थी नारी का सम्मान करो 
थोरी देर बाद tv ओन की वहां की हालात देख करके सदमा सा लग गया मुझे
चारो तरफ पुलिस की लाठियां ही दिख रही थी
 और
 तख़्त पर लिखा था नारी का सम्मान करो देश का उधार करो।

था तो बरे  ही सोचने वाली बात 
दिमाग पे जोर डाली तोह ख्याल आया 
ये तो सरासर बेमानी है इस देश मैं 
जहाँ एक बच्ची पैदा होने से पहले भी सोचती होगी 
क्या मैं बाहर उन इंसान रूपी दैत्यों का सामना कर पाऊँगी??
क्या मैं कभी हंस पाऊँगी दिल से??
पर ये सोचने देने का भी वक़्त नहीं दे पाते  हम इंसान 
पता चलते ही एक नाज़ुक सी जान को वापस भगवान के पास भेज देते 
एक छोटी सी नाज़ुक सी कलि को  बे मौत मौत दे देते हम।।

कुछ जाने यदि अति सौभाग्यवती होती 
तो इस जानवरों के दुनिया मैं कदम रख लेती 
पर उससे हंसी का मतलब भी न जानने मिलता 
हर समय हर वक़्त उसके साथ खिलवार होता 
खेलने,पढने,पहनने से लेकर उसके इज्ज़त के साथ 
हर समय हमारी राक्षस स्वरुप नज़रें उनकी 
हिफाज़त के लिए तैयार  रहते!!
ये सबसे से यदि गुज़र भी गई तो चैन नहीं हमें 
शादी हुई कोई आवारा पति!! मिल गया उसे 
और कोई सुबह उसके उठने के पहले उसे चाय मिले 
तो खैर नहीं उसदिन उसका।।
परिस्थिति परिस्थिति की बात है 
बेटा अपना हो तो जोरू का गुलाम 
यदि दुसरे का हो तो वाकई शानदार बेटा है उसका।।


ऐसे ही ज़िनदगी बीतती उसकी।
अनंतकाल मैं शायद द्रौपदी भी ऐसी ज़िन्दगी न जी होगी 
अभी तो उसे साओं   द्रौपदी सी शक्ति का साहस जुटाना है।
उस समय तो दुशासन हार गया था 
पर शायद आज वो दुशासन नहीं हारेगा।
चारो तरफ तो दुशासन ही दुशासन है 
किन किन से लड़े आज की नारियाँ??
    
आज की नारी शायद यह भूल गई है वही दुर्गा और भवानी की रूप है 
उसी ने झाँसी के रानी बन कर अंग्रेजो को छकाया था 
उठो,लरो और अपना हक छीन कर लो।
यह दुनिया बहुत ज़ालिम है आसानी से यहाँ कुछ नहीं मिलता
इज्ज़त भी नहीं।। 




Friday, December 14, 2012




3 अक्षर का शब्द 
अनेकोनेक भावनाए 
और उससे जुऱी  अनगिनत अनकहीं बातें।

बस वो 3 अक्षर का शब्द 
और ज़िन्दगी का ये सफ़र 
जिसने पूरी ज़िन्दगी के जिने का नजरिया ही बदल डाला।

3 अक्षर का वो शब्द 
जब भी मेरे दिमाग मैं आती 
तुम्हारी बातें कौंध जाती 
और मैं अपने मन को समझाता 
ज़िन्दगी इसी का नाम है।

इस 3 अक्षर के शब्द बहुत कुछ कर डाला 
पूरी ज़िन्दगी को ही दर्द भरा सफ़र मैं बदल डाला।

यह 3 अक्षर का प्यारा शब्द 
जिसने अनंतकाल से इस दुनिया को पागल बनाया 
पर फिर भी लोग इसे ज़िन्दगी का सबसे सुखद एहसास कहते हैं।
वाकई है तो यह 3 अक्षर का छोटा शब्द 
पर है तो बहुत ही कमाल का।। 

Monday, December 10, 2012

।।आज फिर से ये दिल रोया है।।

आज फिर से ये दिल रोया है,
चारो तरफ गम है,आँखों मैं आंसू है,असमंजस है ,
हर कहीं तुम्हारा ही तुम्हारा निशा है।
मौन बैठा था आज मैं फिर से,
इन उफनती प्रेम लहरों को महसूस कर,
की ये दिल आज फिर से रोया है।।

सोचा था यह मोहब्बत ही तो है सिर्फ ,
बरे शहर मैं सब कुछ संभल जायेगा,
बार शहर तो पहुँच गया मैं,
पर यहाँ की स्थिति देखकर सर ने फिर चक्कर  खाया।
अब जाकर समझा बऱे  शहर का मतलब,
ठीक ही कहा करते हैं बरे बुज़ुर्ग की दूर का ढोल सुहावना ।
इंसान तो थे यहाँ पर इंसानियत का कहीं नामो  निशान न था।
यह सब देखकर अज फिर से ये दिल रो बैठा।।


अंत मैं थोरा दिल बहलाने के लिए।।
आज बाज़ार मैं एक गोरा विदेशी मिला पूछा SINCE WHEN ALL THIS IS HERE..??
मैंने बोला  लो भैया आपको तो कुछ मालूम ही नहीं हमलोग तो यहाँ "BEFORE CHRIST" से हैं।।

Sunday, December 9, 2012

"मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए।।" यह गाना जब आया तब आस पास के कई बुजुर्गों ने कहा ..बताइए अब कैसे कैसे गाने बनने लगे हैं , की लोग आजकल खुलेआम अपने बदनाम होने का ढिंढोरा पिट रहे हैं।।कहाँ है वो लता जी , किशोर जी , और मुकेश जी का जमाना?? एक वक़्त था जब लोग अपनी और उठती ऊँगली से घबरा जाते थे।।
तभी किसी ने कहा आप किस ज़माने के बात लेकर बैठे हुए हैं??यह "मनमोहिनी" जमाना है।अपने नफे और नुकसान की खातिर यहाँ मुन्नियों की बदनाम होने की होर मची हुई है,बस डार्लिंग सरकार का दबंग होना जरुरी है।।
तभी किसी ने कहा आप जनाब औरतो की क़द्र नहीं करते,औरतों के बारे आपके ख्याल अच्छे नहीं।।
उन्होंने कहा अरे जनाब!!मैं औरतो की बात नहीं कर रहा।मैं तो " माननीयों " की बाते कर रहा हूँ।इन मुन्नियों मैं सिर्फ आप,मैं और हम ही शामिल नहीं।इनमे अब हमारे " माननीय " भी शामिल हो चुके हैं।अभी देखा नहीं FDI की वोटिंग पर,डार्लिंग सरकार कहिं सांसत मैं न पर जाए,इसके लिए उत्तर प्रदेश के दो माननीयों मैं कैसे सदन से बहार निकलने की होर मची हुई थी।न बदनामी की फिक्र, न आम आदमी के बीच " झंडू बाम " होने का फिक्र।।
दिखावे के लिए उन्होंने आम जन,बहुजन की दुहाई कार्य हुए FDI के लिए सरकार को बहुत कोसा।लोहिया,गाँधी और आंबेडकर का अर्थ भी समझया,लेकिन जब डार्लिंग सरकार के खिलाफ वोट करने की बारी आई तोह बदनाम होना कबुल कर सदन से निकल आये मुँह उठाये ,बिना किसी झिजक के।।

विपक्ष ने आरोप लगाया की डार्लिंग सरकार CBI के बूते दबंग होने की कोशिश कर रही है।इसीलिए सपा और बसपा दबंग डार्लिंग सर्कार पर मेहरबान होने की कोशिश कर रही है।अपने जनता के सामने पद्चुअत होने के डर से।मायावती जी को सुषमा स्वराज की यह बात कुछ ज्यदा ही नागवार गुजरी, इसीलिए तो वो भैया सुषमा स्वराज के साथ CATFIGHT पर उतर आई और उन्हें खिसयानी बिल्ली करार दिया।साथ ही सरकार के साथ होने का वचन भी दे दिया।ठीक ही तो है जब डार्लिंग सरकार के लिए बदनाम हों ही रहे हैं तो क्यों ना खुलमखुल्ला प्यार किया जाए।दुनिया और देश जले तो जले।।
लालू जी तो डार्लिंग सरकार पर इस तरह फ़िदा हैं की उनकी आन बान शान की रक्षा करना अपना कर्तब्ये समझते   हैं।सरकार कभी उनपे भरोसा करे या न करे पर वो हमेशा अपनी बाहें चढ़ाए रहते हैं।उनकी लगन मैं कभी कमी नै आती .FDI के मसले पर भी विपक्ष से भिरने से बाज नहीं आये।दोस्तों की भी परवाह नहीं करते।।

वैसे जितनी मुंह उतनी बात ,सुनने मैं आया है की इसमें भी डार्लिंग सर्कार की दबंगई है।
सही बात है भैया .CBI एक काम अनेक।।।