Monday, December 10, 2012

।।आज फिर से ये दिल रोया है।।

आज फिर से ये दिल रोया है,
चारो तरफ गम है,आँखों मैं आंसू है,असमंजस है ,
हर कहीं तुम्हारा ही तुम्हारा निशा है।
मौन बैठा था आज मैं फिर से,
इन उफनती प्रेम लहरों को महसूस कर,
की ये दिल आज फिर से रोया है।।

सोचा था यह मोहब्बत ही तो है सिर्फ ,
बरे शहर मैं सब कुछ संभल जायेगा,
बार शहर तो पहुँच गया मैं,
पर यहाँ की स्थिति देखकर सर ने फिर चक्कर  खाया।
अब जाकर समझा बऱे  शहर का मतलब,
ठीक ही कहा करते हैं बरे बुज़ुर्ग की दूर का ढोल सुहावना ।
इंसान तो थे यहाँ पर इंसानियत का कहीं नामो  निशान न था।
यह सब देखकर अज फिर से ये दिल रो बैठा।।


अंत मैं थोरा दिल बहलाने के लिए।।
आज बाज़ार मैं एक गोरा विदेशी मिला पूछा SINCE WHEN ALL THIS IS HERE..??
मैंने बोला  लो भैया आपको तो कुछ मालूम ही नहीं हमलोग तो यहाँ "BEFORE CHRIST" से हैं।।

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