Sunday, January 13, 2013

राजनीति और सियासत 

राजनीति और सियासत सुनते ही मन मैं एक भूचाल सा होता है,
 किन्ही  महापुरोसों का आभास होता है,
किन्ही स्त्रियों का अंश याद आता है,
उस माँ के ममत्व का याद आता है,
उस प्यार का याद आता है जिसमे मर मिटने की कसमें खाई जाती है 
उस प्यार का याद आता है जो दूर रहते हुए भी एक बने रहते हैं 
उस प्यार का याद आता है जिसमें मरने पर भी गर्व होता है।

शेरों की लाश आती है  बिना सर के,
सीमा पर जवान खाना त्याग दते हैं,
पर प्यार की कीमत लगाने मैं चुक नहीं करते।
 ममत्व अब मायने नहीं रखते। 
ये ठंडी शीतलहर ने शायद इस प्यार को जमा कर रखने की हिमाकत की है। 

ऐ शीतलहर तू जानती नहीं इस प्यार और  ममत्व की शक्ति 
ये ममत्व ये प्रेम जरुर उठेगा,
ये प्रेम जरुर उठेगा उन शेरों का बदला लेने लिए 
अपने भूल के लिए,अपने उन कपूतों की गलती के लिए 
मातृभूमि की इन सपूतों का रक्त जाया न होने देंगे, 
जरुर दहारेंगे हम और ऐसा की पुरी दुनिया  ये दहार देखेगी।।

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