Friday, January 25, 2013

माँ  


बहुत दुःख दिया था मैंने उसे,
खुदा ने माँ को शायद इस खातिर बनाया था 
ताकि इस धरती पर भगवान के साक्षात् मूरत रह सके।।

भूल गया था मैं की ये वही माँ है,
जब भी आँसू आते थे हमारी आँखों मैं,
सबसे पहले वो ही आती थी इस कम्बख्त के आंसू पोछने को,
आज भी रोती है वो हमारे चले आने के गम में,
शायद मैं यह भूल गया था की 
"माँ तो माँ ही होती है आंखिर"।।

जब भी मैं निकला करता था धुप मैं,
अपने आँचल से छाँव दिया करती थी वो,
और खुद चिलचिलाती धुप मैं जला करती थी वो,
कितनी भोली होती है उसकी सूरत??
खुद के ऊपर धुप और मेरे ऊपर प्यार का छाँव,
आज भी रोती है वो हमारे चले आने के गम में,
शायद मैं यह भूल गया था की 
"माँ तो माँ ही होती है आंखिर"।।

हर पल उसने ख़ुशी और प्यार दिया,
बदले मैं मैंने सिर्फ और सिर्फ गम और आंसू दिया।
अनगिनत दुःख दिया था मैंने उसे 
पर फिर भी हँसते-हँसते सह जाती थी वो,
आज भी रोती है वो हमारे चले आने के गम में,
शायद मैं यह भूल गया था की 
"माँ तो माँ ही होती है आंखिर"।।

आज मुझे एहसास हुआ है खुदा,
क्यूँ देता है उसे तू एक जुकाम भी??
वो तो कभी भी इस दुःख का हकदार न थी??
क्यूँ देता है तू दुःख उस??
मेरी दी हुई दर्द क्या कम कष्टदायक थी??
माँ का क़र्ज़ तो संतान ही अदा करता है ना?
आज भी रोती है वो हमारे चले आने के गम में,
शायद मैं यह भूल गया था की 
"माँ तो माँ ही होती है आंखिर"।।

हर रोज़ तुम्हारे दर पर दीये जलाया करूँगा,
फिर कभी न उसे रुलाऊंगा,
कभी मन न भरेगा हमारा प्यार से उसका,
माँ की जरुरत भला किसे न होगी??
आज भी रोती है वो हमारे चले आने के गम में,
शायद मैं यह भूल गया था की 
"माँ तो माँ ही होती है आंखिर"।।

उसके हर मुश्किलों को हमारे पास भेज दिया कर,
आंखिर माँ की जरुरत कब और किसे कहाँ-कब न होती??
 आज भी रोती है वो हमारे चले आने के गम में,
शायद मैं यह भूल गया था की 
"माँ तो माँ ही होती है आंखिर"।।

मेरी हर ख़ुशी मुझसे ले ले तू ,
पर बदले मैं मेरी माँ को हमेशा खुश रख तू।
मेरी तन्हाईयों का और कोई साथी न हो सकता,
आंखिर माँ किसी को भला थोरे ही बार बार मिलती??
आज भी रोती है वो हमारे चले आने के गम में,
शायद मैं यह भूल गया था की 
"माँ तो माँ ही होती है आंखिर"।।

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